Wednesday, June 10, 2009
अब तो रहम करो
पूर्व का वेनिस कहो या झीलों की नगरी या जो आपको अच्छा लगे... कुछ भी कहो..
पर यह शहर है बड़ा खूबसूरत.... डेजर्ट इलाके का रहने वाला यह प्राणी जब इस शहर की तारीफें करता नहीं थकता है तो उदयपुर के लोग कहते हैं, असली उदयपुर तो आपने देखा ही कहां.
ये वो शहर था-
- जहां कभी हरी-भरी वादियों में पर्यटक खोए रहते थे
- जहां झीलें पानी से लबालब तो रहती ही थी- उनका पानी भी कांच की तरह साफ रहता
- जहां इतने पेड़ थे कि उन्हें गिनना मुश्किल था
- जहां हर तरफ का साफ सुथरा वातावरण बरबस सभी को मोह लेता था
- जहां के लोग अपने शहर की सुंदरता बनाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे
- जहां की परम्पराएं इसकी खूबसूरती को और निखारती थी
पुराने लोग और भी बहुत कुछ अपनी यादों को सहेजते हुए बताते हैं, सभी का उल्लेख यहां करना मुश्किल है। इतना कुछ बताने का उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि राजस्थान ही नहीं भारत की इस खूबसूरत विरासत को बचाना है तो कोई बड़ा कदम तो उठाना ही चाहिए। इतनी सारी बातें जानने के बाद तो मुझे यह लगता है कि यह उदयपुर तो वाकई उजड़ता जा रहा है। कहीं एसा न हो कि यहां की झीलें आस-पास की गंदगी को अपने में समाते हुए कूड़ेदान का रूप धारण कर ले। इन झीलों में पानी आने के प्राकृतिक रास्ते अतिक्रमण की भेंट चढ़ते जा रहे हैं। हमने न केवल इन झीलों का दोहन किया, बल्कि इसमें गंदगी डालने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी। और तो और, रही सही कसर पेड़ काटकर निकाल दी गई। यह जरूर है कि नए राजमार्ग इस शहर को मिले, लेकिन इनके लिए प्रकृति का विनाश अनुचित है। पेड़ कटे जो तो कटे, पहाड़ के पहाड़ काट डाले गए। जब ये पहाड़ कटे तो इनके मलबे में कई जलग्रहण क्षेत्रों का नामोंनिशां मिट गया, जिनसे उदयपुर की झीलों की प्यास बुझती है।
अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है -
अभी भी बहुत कुछ हमारे हाथ में हैं। हम चाहे तो बहुत कुछ कर सकते हैं। मेरी तो सिर्फ एक ही इच्छा है, यहां के हर आदमी के हाथ से कम से कम एक पेड़ जरूर लगे। इसमें राजस्थान पत्रिका का हरयाळो राजस्थान अभियान मददगार साबित हो सकता है। फिर देखें कैसे हमारा उदयपुर वापस अपने उस स्वरूप में नहीं लौटता, जिसकी छवि हमारे पूर्वजों के दिलोंदिमाग से नहीं निकलती।
जयश्री कृष्णा।
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आमीन।
ReplyDeleteआपके नेतृत्व यह संभव है।
आपसे पहले अमृतम् जलम् में राजीव जी ने भी कुछ ऐसा ही महसूस किया था।
http://chitthajagat.in/
ReplyDeleteतथा
http://blogvani.com/
पर रजिस्टर कर लीजिए। वहां खूब पाठक मिलेंगे। आपकी बात तेजी से लोगों तक पहुंचेगी। वहां तीन हजार से अधिक लोग रोजाना आते हैं।
achhi prayaas hai
ReplyDeletebadhai!
rakesh ji bahut bahut abhar yek achhe visay ko uthane ke liye
ReplyDeletesadar
praveen pathik
9971969084
उदयपुर की सुंदरता देख कर, मैं भी इस जगह का कायल हो गया। इस शहर ने मुझे रोटी के साथ जीवन को सही मायने में जीने का हुनर िसखाया है। मैं बडा खुशनसीब हूं की मैं इस शहर का िहस्सा बना। इस शहर के पुराने शौंदर्य को िफर से लौटा के लाने की िजम्मेदारी अब हमारी है। मेरी कोिशश रहेगी, िजतना इस शहर ने मुझे िदया है मैं इसे लौटा सकूं।
ReplyDeletesahi bat hai. narayan narayan
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